कपिल
की लोकप्रियता भुनाने की कोशिश
है फिरंगी
जरूरी
नहीं कि आपको किसी विधा में
महारथ हासिल हो तो उससे जूड़े
अन्य विधाओं में भी आप अव्वल
ही आएं.
हिमेश
रेशिमिया जैसे कई ऐसे उदाहरण
हैं जिन्होंने दो नावों पर
सवारी के चक्कर में करियर दांव
पर लगा ली.
कुछ
ऐसी ही स्थिति कपिल शर्मा की
भी हो गयी है.
कॉमेडी
की दुनिया में बड़ा मुकाम
हासिल करने के बाद फिल्मों
में अभिनय की चाहत से उनकी
स्थिति भी डांवाडोल होती दिख
रही है.
निर्देशक
राजीव ढिंगरा की फिरंगी भी
कपिल की बतौर एक्टर स्थापित
होने की असफल कोशिश है.
फिल्म
की अनावश्यक लंबाई,
कई
पुरानी फिल्मों का प्रभाव और
कहानी की धीमी रफ्तार के अलावे
कई अन्य कमजोरियां भी हैं,
पर
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी
रही पूरी फिल्म में कपिल का
सपाट चेहरे से अभिनय.
फिरंगी
अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन और
अंग्रेजी सामान के बहिष्कार
के वक्त की कहानी है.
पंजाब
के एक छोटे से गांव का बेरोजगार
मंगा (कपिल
शर्मा)
अपनी
एक अलग खूबी के लिए फेमस था.
किसी
के कमरदर्द में उसकी कमर पर
लात मारकर दर्द खत्म देने की
खूबी की वजह से उसकी वाहवाही
हो जाती.
ऐसे
ही एक दिन उसे किस्मत से ब्रिटीश
अधिकारी डेनियल से मिलने का
अवसर मिलता है,
जहां
हुनर की बदौलत उसे ब्रिटीश
पुलिस में नौकरी मिल जाती है.
इस
बीच उसकी मुलाकात सरगी(इशिता
दत्ता)
से
होती है,
जिसे
देखते ही मंगा उसे दिल दे बैठता
है.
दोनों
शादी की सोचते हैं पर सरगी के
दादा(अंजन
श्रीवास्तव)
को
यह मंजूर नहीं कि किसी अंग्रेज
के पिट्ठू से उसकी शादी हो.
उधर
डेनियल वहां के राजा के साथ
मिल शराब फैक्ट्री बैठाने की
नीयत से गांव की जमीन हड़पना
चाहता है.
इस
काम के लिए वह मंगा को नियुक्त
करता है.
अब
मंगा के सामने गांव की जमीन
बचाने की चुनौती आ खड़ी होती
है.
फिल्म
की सबसे बड़ी दुविधा यह है कि
यह कहानी से तो पीरियड फिल्म
है पर पीरियड फिल्मों की सारी
जरूरी बात मसलन परिधान,
बॉडी
लैंग्वेज नदारद हैं.
पीरियड
फिल्मों के लिए किये जाने वाले
जरूरी शोधों का अभाव फिल्म
में साफ दिखता है.
अभिनय
की बात करें तो इशिता दत्ता
ठीक-ठाक
लगी हैं.
अगर
कुछ प्रभावित कर पाते हैं तो
वो फिल्म के सहयोगी कलाकार
ही हैं.
राजेश
शर्मा ,
इनामुल
हक,
अंजन
श्रीवास्तव और कुमुद मिश्र
जैसे कलाकार ही थोड़ी-बहुत
अभिनय की इज्जत बचा ले जाते
हैं.
गीत-संगीत
जरूर राहत प्रदान करने वाला
है.
कुल
मिलाकर अगर आप कपिल के हार्ड
क ोर फैन हैं,
जो
उन्हें किसी भी सूरत में ङोल
सके तो बेशक थियेटर का रुख
करें वरना मनोरंजन के लिए किसी
अन्य माध्यम की तलाश ही बेहतर
होगा.