Thursday, November 2, 2017

फिल्म समीक्षा

मर्डर मिस्ट्री के साथ रिश्तों की कहानी है रुख

पिछले कुछ दिनों से मनोज बाजपेयी की फिल्म रुख का ट्रेलर अपने अलग ट्रीटमेंट की वजह से उत्सुकता जगा रहा था. फिल्म के खास ह7ोने की वजह इस फिल्म से निर्माता मनीष मुंदड़ा का नाम जुड़ा होना भी है. जिनकी आंखों देखी, धनक, मसान और न्यूटन जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस की भेड़चाल से दूर दर्शकों के बीच अलग उपस्थिति दर्ज करा चुकी हैं. इस बार रुख के जरिये भी उन्होंने कुछ वैसा ही प्रयास किया है. अतनु मुखर्जी निर्देशित रुख एक मर्डर मिस्ट्री होने के साथ-साथ पिता-पुत्र के रिश्तों की कई परतें नये सिरे से परिभाषित करती हैं.
कहानी मुंबई के दिवाकर माथुर (मनोज बाजपेयी) की है जो बिजनेस में घाटे की वजह से काफी परेशान रहता है. फैमिली को समय नहीं दे पाने की वजह से उसकी प}ी नंदिनी (स्मिता तांबे) भी चिढ़ी-चिढ़ी रहती है. ऐसे वक्त में रॉबिन (कुमुद मिश्र) नामक बिजनेसमैन दिवाकर की कंपनी में पैसा लगाता है और उसके साथ पार्टनरशिप कर लेता है. अचानक बार्डिग स्कूल में पढ़ रहे दिवाकर के बेटे ध्रुव (आदर्श गौरव) को एक दिन पता चलता है कि एक रोड एक्सिडेंट में उसके पिता की मौत हो गयी. पिता के जाने के बाद ध्रुव वापस अपनी फैमिली के पास रहने आ जाता है. पर वापस आने पर उसे अहसास होता है कि उसके पिता की मौत महज एक एक्सिडेंट नहीं बल्कि किसी की सोची समझी साजिश का नतीजा है. अपने दोस्तों की मदद से वो खुद ही इस साजिश के तह तक जाने की कोशिश करता है जिसमें कई सारे राज परत दर परत खुलते हैं. 
फिल्म की कहानी भले सुनने में सीधी-सपाट लगे पर परदे पर रहस्यों की सिलसिलेवार खुलती परतें इसे यूनिक बनाती है. फिल्म रोचक होने के साथ-साथ काफी मनोरंजक भी हो सकती थी पर सिनेमायी मसालों की कमी और एक ही ट्रैक पर चलने की वजह से कई जगहों पर एकरसता का अहसास भी देती है. अभिनय के लिहाज से किरदार में डूबे मनोज बाजपेयी का फ्लो देखते ही बनता है. छोटी भूमिका के बावजूद उनकी उपस्थिति मात्र से कहानी की र7ोचकता बढ़ जाती है. मां के किरदार में स्मिता तांबे ने भी सहजता से अपने हिस्से का निर्वाह किया है. पर तारीफ के क ाबिल हैं आदर्श गौरव, जिनकी खोज फिल्म की उपलब्धि ही मानी जाएगी. कुमुद मिश्र की स्वाभाविकता भी मोहती है. कुल मिलाकर कहें तो अगर आप मसालेदार सिनेमा से हटकर कुछ नये की तलाश में हों तो एक बार थियेटर का रुख भी बूरा नहीं रहेगा.

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