Thursday, October 6, 2016

अंधविश्वास के खिलाफ अलख जगायेगा कलर्स का नया शो देवांशी

                          मुंबई से लौटकर गौरव
आस्था और अंधविश्वास के बीच बहुत बारीक लाइन होती है. जहां आस्था विश्वास के बुते टिका होता है, वहीं अंधविश्वास डर के सारे में जन्म लेता है. कलर्स चैनल का नया धारावाहिक देवांशी इसी विश्वास और डर की कहानी कहता है. हर बार एक नये सोशल इश्यूज को अपने डेलीसोप्स के जरिये दर्शकों तक पहुंचाने वाला चैनल एक बार फिर देवांशी के जरिये घर-घर में दस्तक देने वाला है. और इस बार उसने जिस मुद्दे को उठाया है उससे शायद ही आज के समाज का कोई वर्ग अछूता है. शो की शुरु आत से पहले मुंबई के होटल ताज में आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस में शो के प्रोड्यूर्स और एक्टर्स ने इस मुद्दे और सीरियल के बारे में खुल कर अपनी बात रखी. तीन अक्तूबर शाम सात बजे से कलर्स पर दिखाये जानेवाले इस धारावाहिक की कहानी है अंधी आस्था के नाम पर इस्तेमाल होती नन्हीं देवांशी (काशी कोठारी) की. एक एक्सीडेंट में अपने माता-पिता को खो चुकी देवंशी का जीवन उस समय अचानक बदल जाता है जब वह एक शिशु के रूप में अचानक गॉड वूमन के चढ़ावे वाली हुंडी में गिर जाती है, और आस्था के नाम पर माता कुसुम सुंदरी (करु णा पांडेय) द्वारा वो मंदिर की संपित्त घोषित कर दी जाती है. कुसुम सुंदरी सरला और ओमी को उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी सौंपती है. थोड़ी बड़ी होने पर देवांशी को कस्बे के लोग घूंघरू वाली माया का अवतार बता उसे भी माता कुसुम सुंदरी सा देवी घोषित कर देते हैं. बच्ची को पालने वाली मां सरला भी लालचवश इस बात का फायदा उठाती है. वो देवांशी को माता कुसुम सुंदरी के मुकाबले खड़ा कर देती है. देवांशी इस अंधविश्वास से उपजी चुनौतियों का बखूबी सामना करती है और कस्बे में आस्था का डर दिखा कर राज करने वाली बुरी गॉडवुमन माता कुसुम सुंदरी को पराजित करने के सफर पर निकल पड़ती है. धारावाहिक के कॉसेप्ट के बारे में पूछे जाने पर कलर्स के प्रोग्रामिंग हेड मनीषा शर्मा ने बताया कि आज हमारे देश में भगवान व आस्था के नाम पर कई लोग विकास की सबसे बड़ी रुकावट बने हुए हैं. देवांशी के जरिये हम इसी अनछुए कॉन्सेप्ट को सामने ला रहे हैं जो बुराई व अच्छाई में जंग के इस सफर से दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देगा. फुल मीडिया हाउस प्रा. लि. द्वारा प्रस्तुत इस धारावाहिक में काशी और करु णा के अलावे मुख्य किरदारों में अंकिता शर्मा (सरला) और पंकज भाटिया (ओमी) भी हैं, जो देवांशी के पालन-पोषण करते हैं. साथ ही आमिर दल्वी द्वारा निभाये गये कुसुम सुंदरी के सेवक मोहन का किरदार भी उत्सुकता पैदा करेगा.
प्रोड्यूसर सोनाली जाफर के अनुसार हरियाणवी बैकड्रॉप पर आधारित इस धारावाहिक के लिए उन्होंने एक काल्पनिक कस्बे ज्वालापुरी की पृष्ठभूमि गढ़ी. पर उन्होंने इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि कल्पना आधारित ये कहानी प्रामाणकिता के ठोस धरातल से भी वंचित ना रहे.
देवी होने का ठोंग रचने वाली धारावाहिक की मुख्य किरदार (कुसुम सुंदरी) के बारे में बात करने पर करु णा पांडेय ने बताया कि इस शो के कॉन्सेप्ट ने पहली बार में ही मुङो आकर्षित कर लिया. कुसुम संदरी का किरदार निभाने वक्त मुङो कई बार आस्था और अंधविश्वासों के दुष्परिणाम को करीब से समझने का मौका मिला. इस किरदार की ताकत मेरे करियर को एक नयी ऊंचाई पर ले जायेगा. राम-रावण, कृष्ण-कंस के अविस्मरणीय कहानी से प्रेरित इस धारावाहिक का कॉन्सेप्ट ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है और यह निश्चित है दर्शकों को भी अंधविश्वास के दलदल से बाहर खींचने में सफल होगा.
शो मे मोहन का किरदार निभा रहे आमिर दल्वी के अनुसार नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का कॉन्सेप्ट लिए यह धारावाहिक उन सबों पर कुठाराघात करेगा जो अंधविश्वास के भंवर में उलङो हैं. जैसे-जैसे कहानी सामने आती जायेगी नन्हीं देवांशी का नजरिया अंध आस्था के भक्तों की आंखें खोल देगा. और हमारा ये धारावाहिक अगर कुछ दर्शकों की नकारात्मकता खत्म करने में सफल रहा तो ये शो की सबसे बड़ी कामयाबी होगी.






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