Saturday, October 29, 2016

फिल्म समीक्षा

     एक्शन और इमोशन की नयी परिभाषा है शिवाय

पिछले एक साल से अजय देवगन के नाम पर बस शिवाय की चर्चा सुनने मिल रही थी. फिर इसके ट्रेलर ने जिज्ञासा का स्तर इस कदर बढ़ा दिया था कि उम्मीदें चरम पर थी. आखिरकार फिल्म देखी और तब वाकई लगा कि क्यों पिछले एक साल से अजय देवगन ने कई बाकी सारे प्रोजेक्ट्स को मना किया और क्यों शिवाय के भारी-भरकम बजट के लिये अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. अजय की शिवाय एक्शन और इमोशन के स्तर पर हिंदी सिनेमा को एक अलग ही दिशा में ले जाती है. कई बार अभिनय और निर्देशन दोनों की कमान एक साथ थामने के चक्कर में सब मटियामेट हो जाता है. पर तारीफ के क ाबिल हैं अजय जिन्होंने पूरी शिद्दत से दोनों को बखूबी थामा. लब्जों के बजाय आंखों से बात करते इमोशंस और दूर्गम बर्फीली पहाड़ियों में फिल्माये हॉलीवूड को टक्कर देते एक्शन सींस इसे एक अलग ही श्रेणी में ला खड़ा करते हैं.
कहानी पहले ही सीन में इमोशनल करती हुई नौ साल पीछे फ्लैशबैक में चली जाती है. उतराखंड के एक गांव में रहने वाला शिवाय(अजय देवगन) पर्यटकों को माउंटेन ट्रैकिंग में गाइड करने का क ाम करता है. ट्रैकिंग के दौरान उसकी मुलाकात ओल्गा(एरिका क ार) से होती है. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं. एक दिन अचानक मौसम खराब होने की वजह से दोनों हिमस्खलन के बीच फंस जाते हैं. जान बचाने की कोशिश में हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों के रिश्ते आत्मीयता के रास्ते दैहिक सफर पर चल पड़ते हैं. ओल्गा मां बनने वाली होती है, और यहीं से फिल्म हिंदी सिनेमा के प्रचलित ढांचों से उलट रास्ता अख्तियार करती है. शिवाय को बच्चे की चाहत है पर ओल्गा अपनी फैमिली की वजह से मां नहीं बनना चाहती. 5ावाय की काफी मिन्नतों के बाद वो इसी शर्त पर मां बनने को तैयार होती है कि बच्चे को जन्म देने के बाद वो उसे शिवाय के पास छोड़कर वापस बुल्गारिया चली जाएगी. सालों बाद जब शिवाय की बेटी गौरा(एबीगेल एम्स) को इस बात का पता चलता है तो वो अपनी मां से मिलने की जिद करती है. शिवाय उसे ले बुल्गारिया पहुंचता है, पर अगले ही दिन वहां गौरा का किडनैप हो जाता है. फिर.. अर्र र्र रुकिये, सेकेंड हाफ की कहानी और क्लाइमैक्स का लुत्फ अगर आपने थियेटर में नहीं उठाया तो आप निश्चित ही एक्शन और इमोशन के एक उम्दा क ॉकटेल के स्वाद से वंचित रह जाएंगे.
अभिनय के स्तर पर फिल्म अजय देवगन की भावनात्मक छलांग के लिए निश्चित ही देखे जाने लायक है. उम्र के इस पड़ाव में ऐसे अंतर्रास्ट्रीय स्तर की प्रयोगात्मक एक्शन से उनकी विस्तृत रेंज का पता चलता है.
क्यों देखें- इंडियन ट्रैडिशनल वैल्यूज के साथ एक इंटरनेशनल स्तर की फिल्म देखने के इच्छुक हों तो.
क्यों न देखें- फिल्म की लंबाई धैर्य में थोड़ी खलल डाल सकती है.


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