रिश्तों की गिरह खोलता है तुम बिन 2
बर्फबारी
से भरे स्कॉटलैंड के मनमोहक
दृश्य,
कहानी
के ट्विस्ट्स और पंद्रह साल
पहले आई तुम बिन की खुमारी.
तुम
बिन 2
देखे
जाने के ये तीन मुख्य वजहें
हो सकती है.
बेशक
फिल्म अभिनय,
गीत-संगीत
और कहानी के मोर्चे पर पिछली
फिल्म से उन्नीस ही बैठती है
पर अनुभव सिन्हा की तुम बिन
2
को
केवल तुलनात्मक वजहों से सिरे
से खारिज कर देना बेमानी होगा.
कहानी
शुरू होती है स्कॉटलैंड के
बर्फीले इलाके से,
जहां
वेकेशन पर आयी तरण (नेहा
शर्मा)
अपने
मंगेतर अमर (आशिम
गुलाटी)
के
साथ फ्यूचर के सपने बूनती है.
बर्फीले
पहाड़ों के शौकीन अमर अचानक
एक दिन स्कीइंग के दौरान
दुघर्टना का शिकार हो जाता
है.
काफी
खोज बीन के बाद पुलिस उसे मरा
घोषित कर देती है.
इस
घटना से टूट चुकी तरण धीरे-धीरे
जिंदगी में आगे तो बढ़ती है
पर अमर को भूल नहीं पाती.
तभी
उसकी जिंदगी में आना होता है
शेखर(आदित्य
शील)
का,
जो
अमर के पिता(कंवलजीत)
के
दोस्त का लड़का है.
शेखर
तरण की लाइफ में फिर से पुरानी
खुशियां लौटाने की कोशिश करता
है.
इस
कोशिश में दोनों के बीच प्यार
पनपता है.
पर
कहानी उस वक्त मोड़ लेती है
जब अमर आठ महीने बाद वापस लौट
आता है.
उसे
भूलने की क ोशिश कर रही तरण के
लिए एक अजीब स्थिति पैदा होती
है.
वो
अमर का ख्याल दिल से निकाल
नहीं पाती है पर साथ जीने के
लिए शेखर का चुनाव करती है.
कहानी
एक अजीब मोड़ पर पहुंचती है
तभी..रुकिये,
इस
आखिरी ट्विस्ट के लिए आप थियेटर
का रूख करें तो ज्यादा बेहतर
होगा.
तुम
बिन 2
की
सबसे बड़ी कमजोरी एक्टर्स का
चुनाव है.
नेहा
की खूबसूरती लुभाती है पर
इमोशनल दृश्यों में वो दिल
तक नहीं उतर पाती.
आदित्य
और आशिम के किरदार भी अधगढ़े
से लगते हैं.
पर
तारीफ करनी होगी कंवलजीत की
जिन्होंने अपने इमोशन से फिल्म
के काफी हिस्से को अपने क ांधे
का सहारा दे दिया.
गीत
संगीत से भी काफी हद तक निराशा
होती है.
रिपीट
गीत कोई फ रियाद को छोड़ दें
तो किसी गानें में पूराना
फ्लेवर नहीं मिलता जो आपकी
जुबां पर चढ़ सके.
बावजूद
इन क मियों के आकर्षक फिल्मांकन
और मनोरंजन के लिए एक बार फिल्म
का रूख करना बुरा नहीं रहेगा.
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