दर्द भरे रिश्तों की भूलभूलैया में खुशियों के दरवाजे दिखाती डियर जिंदगी
करीब
चार साल पहले गौरी शिंदे
इंगलिश-विंगलिश
के साथ आयी थी.
एक
सिंपल सब्जेक्ट और बड़े इम्पैक्ट
वाली कहानी के साथ उन्होंने
खुद के लिए एक अलग राह बना ली
थी.
डियर
जिंदगी उसी रास्ते पर बनायी
गयी एक और माइलस्टोन है.
रिश्तों
की उलझी गांठ के बीच फंसी दम
तोड़ती खुशियों को जिस खूबसूरती
से गौरी ने गांठ खोलकर खूले
आसमान की सैर करायी वो वाकई
तारीफ के क ाबिल है.
डियर
जिंदगी के किरदार और उनकी
उलझनें बनावटी नहीं हैं.
गौरी
हमारे और आपके अंदर की अकुलाहट
से हमारा ही परिचय कराती हैं.
साफगोई
से बता जाती हैं कि हमारे अंतस
के छटपटाहट की जड़ भी हमारे
ही अंदर है.
वो
जड़ जिसने हमारी खुशियों को
अमरलत्ते की भांति जकड़ रखा
है.
फिर
क ायरा(आलिया
भट्ट)
के
जरीये धीरे-धीरे
क ोमलता से उन जकड़न से मुक्ति
की राह भी दिखा देती है.
आज
हर शख्स के अंदर कहीं न कहीं
एक कायरा है,
जिसे
तलाश है बंद दरवाजे के पार की
खुशियों की.
गौरी
वही दरवाजा खोलकर दर्शकों की
जिंदगी खूशगवार बना देती है.
कायरा
एक इंडिपेंडेंट लड़की है.
सिनेमेटोग्राफर
के रूप में अपना एक मुकाम बनाना
चाहती है.
जिंदगी
की राह में उसे कई लड़कों का
साथ मिलता है.
पर
हर बार एक अनजाने डर में वो
खूद ही उस रिश्ते से दूरी बना
लेती है.
उसकी
उलझनें अपने परिवार को लेकर
भी हैं.
पारिवारिक
रिश्तों की परछाईं से भी वो
दूर भागती है.
रिश्तों
के इन कशमकश के जुझती कायरा
अनिद्रा की शिकार हो जाती है.
ऐसे
में उसकी मुलाकात एक साइकियाट्रिस्ट
जग उर्फ जहांगीर खान (शाहरूख
खान)
से
होती है.
चेकअप
सेशन और बातचीत के दौरान जग
को कायरा की उन उलझनों का पता
चलता है जो उसकी बीती जिंदगी
से जुडें़ थे.
बचपन
से रिश्तों में चोट खायी कायरा
के जख्मों की परत खुलती है.
जग
क ोमलता से उन जख्मों पर रिश्तों
की नयी गर्माहट के मरहम लगाता
है.
धीरे-धीरे
कायरा सूकून महसूस करती है.
बाहरी
दुनिया को खुद के दर्द की वजह
मानती कायरा खुद ही उस दर्द
से छुटकारे की राह बना लेती
है.
फिल्म
कायरा के जरीये उन पैरेंट्स
को सवालों के दायरे में ला
खड़ा करती है जिनकी कमियों
का दंश उनकी संतानों को ङोलना
पड़ता है.
फिल्म
कई वजहों से बार-बार
देखे जाने लायक है.
बेहतरीन
क ांसेप्ट के अलावा इसके संवाद
भी रह-रहकर
आपको कुरेदते हैं.
साथ
ही खुद के अंदर की गुत्थियां
सुलझाने को झकझोरते भी हैं.
और
इन वजहों को और विश्वसनीय
बनाती है आलिया भट्ट और शाहरूख
खान की अदाकारी.
आलिया
फिल्म दर फिल्म आज के जेनरेशन
की सबसे समर्थ अभिनेत्री बनती
जा रही हैं.
डियर
जिंदगी आलिया के लिए हाइवे(इम्तियाज
अली)
का
एक्सटेंशन मानी जा सकती है.
जहांगीर
के किरदार में शाहरूख की सादगी
भाती है.
ऐसे
किरदार उन्हें खुद की बनी
बनायी छवि तोड़ने का मौका देते
हैं.
सहयोगी
किरदार में अंगद बेदी,
कुणाल
कपूर और अली जफर भी जंचते हैं.
फिल्म
की एक और खास बात इसका संगीत
है.
अमित
त्रिवेदी ने कहानी के हिसाब
से जिंदगी के उतार-चढ़ाव
व खुशियों को बखूबी धूनों में
उतारा है.
क्यों
देखें-
रूटीन
फिल्मों से हटकर जिंदगी को
करीब से जानने की चाहत हो तो
जरूर देखें.
क्यों
न देखें-
मसाला
फिल्म की चाहत झुंझलाहट दे
सकती है.
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