Friday, September 2, 2016

गुटरुं गुटरगूं


प्रमोशन करने प्रभात खबर ऑफिस पहुंची फिल्म की टीम
सामाजिक सरोकार पर बनी फिल्म गुटरुं गुटरगूं आज से सिनेमाघर में
क ामयाबी की शिखर चढ़ते ही अधिकतर इंसान अपनी जड़ों से मूंह मोड़ लेता है. पर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके अंदर अपनी माटी के लिए कुछ करने की ललक उन्हें हमेशा उद्वेलित करती है. बिहार के जहानाबाद की अस्मिता शर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. टेलीविजन पर बालिका वधू और प्रतिज्ञा जैसी सीरियल में अभिनय की छाप छोड़ने के बाद अस्मिता ने गुटरुं गुटरगूं के जरीये हिंदी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा. फिल्म में मुख्य भुमिका निभा रही अस्मिता ने फिल्म के विषय के रूप में ऐसी समस्या को चुना जिससे आज का समाज सबसे ज्यादा जुझ रहा है. महिलाओं के लिए शौचालय जैसे गंभीर मुद्दे को अस्मिता और उनके पति (फिल्म के निर्देशक प्रतीक शर्मा) ने एक खूबसूरत प्रेम कहानी के धागे में पिरोकर ऐसी कहानी गढ़ी है जिसे देख बरबस ही आपके कदम जागरूकता की दिशा में बढ़ जाएंगे. अस्मिता के इसी सराहनीय प्रयास की वजह से बिहार और झारखंड की सरकार ने फिल्म को अपने राज्य में टैक्स फ्री कर दिया है.
फिल्म प्रमोशन के दौरान प्रभात खबर के दफ्तर पहुंची अस्मिता शर्मा, प्रतीक व मुख्य किरदार के पति की भुमिका निभा रहे बुल्लू कुमार ने खुलकर फिल्म के बारे में बातचीत की. फिल्म के मद्दे पर बातचीत के दौरान अस्मिता उन यादों में खो जाती है जब उन्होंने खुद की फैमिली के महिलाओं को इस समस्या से लड़ते देखा था. कैसे उनके परिवार व आस-पास की महिलायें शौच के लिए एक अनजाने डर का साया लपेट घर से बाहर निकलती थीं. उन्हीं यादों की वीभत्सता ने उन्हें इस विषय को चुनने के लिए प्रेरित किया. फिर प्रतीक के साथ ने उनकी सोच को बल दिया और दोनों ने इस विषय को लेकर फिल्म बनाने की ठान ली. असल समस्या फिल्म के विषय के साथ न्याय करते हुए उसे कमर्शियली विस्तार देने की थी. दोनों ने मिलकर एक साल तक कहानी पर क ाम किया. प्रतीक के अनुसार फिल्म सामाजिक सरोकार के मुद्दे के साथ-साथ पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को भी खूबसूरती से बयां करती है. रिश्तों में ठेठ देसीपन लिए पति-प}ी के बीच के प्यार और नोंक-झोंक को ही कहानी की मुख्य यूएसपी बताते हैं. और यही से उन्हें फिल्म का नाम गुटरुं गुटरगूं रखने का भी ख्याल आया.
साई फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म की कहानी गांव के उवन्ति(अस्मिता शर्मा) और उसके पति शंभू (बुल्लू कुमार) की है. ब्याह के बाद ससूराल पहूंची उगन्ति घर में शौचालय न होने की वजह से क ाफी परेशान हो जाती है. फिर इस बात को ले पति से विरोध करती है और बात समाज तक जाती है. फिल्म की सबसे खास बात ये है कि इसकी सारी शुटिंग अस्मिता के गांव पंडूई में हुई है और फिल्म के अधिकतर कलाकार उनके गांव के ही हैं जिन्हें उन्होंने खुद ट्रेंड किया. लोक गानों में भी बिहारी गायिका का ही योगदान है. फिल्म को फेस्टिवल्स और सेंसर प्रतिनिधियों से भी क ाफी सराहना मिल चुकी है.

No comments: