Saturday, September 24, 2016

फिल्म समीक्षा

                              सपनों को जीना सिखाती है बैंजो
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जिंदगी आपको हमेशा दो च्वाइस देती है, या तो आप अपन गरीबी और मुफलिसी को अपनी नियति मानकर उसके साथ जीना सीख लो या उसे अपने पंख बनाकर अपने सपनों को उड़ान दे दो. बैंजो दूसरा रास्ता अख्तियार करती है. पेट की भूख मिटाने को क ाम करने के साथ-साथ अपनी ख्वाहिशों को जीने का तरीका बताती है. मराठी फिल्मों के जाने-माने निर्देशक रवि जाधव ने अपनी पहली हिंदी फिल्म के जरीये इसी जज्बे और हौसले की कहानी कही है. फिल्म शायद कुछ ज्यादा खूबसूरत बन पड़ती अगर निर्देशक मुख्य कहानी में सिनेमाई तड़का डालने के चक्कर में कुछ मसाला मिश्रण से बच पाते तो. पर इसके बावजूद रवि ने जिस खूबसूरती से मुंबई के चॉल की जिंदगी और उसमें बसे लोगों के सपनों को फिल्माया है वो क ाबिल ए तारीफ है. और इस कोशिश में उनका भरपूर साथ दिया है रितेश देशमुख ने.
कहानी चॉल में रहने वाले चार लड़कों तराट(रितेश देशमुख), ग्रीस(धर्मेश), पेपर(आदित्य कुमार) और वाजा(राम मेनन) की है. क ाम करने के साथ-साथ चारों बैंजो बजाते हैं. एक दिन गणपति महोत्सव में बैंजो बजाते उनका ऑडियो क्लीप न्यूयार्क की कृष(नरगिस फाखरी) के हाथ लग जाता है. कृष खुद म्यूजिक की दूनिया में अपना नाम बनाना चाहती है. एक म्यूजिक कंसर्ट में अपनी बनायी म्यूजिक भेजने के लिए वो उन चारों को तलाशती मुंबई आ जाती है. यहां वो चारों को मिल तो जाती है पर चारों का अनप्रोफेशनल रवैया उनके आड़े आ जाता है. काफी मुश्किल से वो इन सब बातों को हैंडल कर ही रही होती है कि इसी बीच राजनेता पाटिल के लिए वसूली करने वाला तराट एक केस में पुलिस के चंगूल में फंस जाता है. अपने सपने के टूटने से बिखरी कृष वापस न्यूयार्क चली जाती है. पर इन सबके बीच पीछे छोड़ जाती है वो सपना जिसे अब उन चारों लड़क ों को पूरा करना था. 
कहानी और बैकड्रॉप के लिहाज से कलाकारों का चयन बिलकुल वाजिब लगता है. तराट के किरदार में रितेश ने इसे मराठी परिवेश के काफी आस-पास रखा है. अबतक उपयुक्त भुमिकाओं से वंचित रहे रितेश ने किरदार की मनोदशा और जरूरी उर्जा को काफी संयमित तरीके से समावेशित किया है. धर्मेश व अन्य किरदार भी परिवेश की जरूरतों के साथ पूरा न्याय करते हैं. फिल्म की खास बात ये कि बैंजो जिनसे शायद अधिकांश भारतीय अबतक अंजाने हैं, अपनी मधूर धून के साथ आपको बार-बार थिरकने का पूरा मौका देती है. 

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