बिहार
की मिट्टी हमेशा से कला और
कलाकारों के लिए मुफीद रही
है.
इस
मिट्टी ने हर क्षेत्र में कई
प्रतिभाओं को जन्म दिया.
और
बात अगर फिल्मों की करें तो
इस क्षेत्र में भी सफलता के
झंडे गाड़ने वालों की फेहरिस्त
काफी लंबी है.
ऐसे
ही एक युवा की शार्ट फिल्म इन
दिनों यूट्यूब पर काफी धूम
मचा रही है.
काश:
थिंक
बिफोर यू एक्ट के नाम से बनी
इस शार्ट फिल्म के निर्देशक
मोतिहारी शहर के गौरव हैं.
गौरव
ने निर्देशन के साथ-साथ
फिल्म की कहानी भी लिखी और
मुख्य भूमिका में भी है.
पेश
है आज के युवाओं को झकझोरती
इस फिल्म के निर्देशक गौरव
से खास बातचीत :-
प्रश्न
:
काश
!
थिंक
बिफोर यू एक्ट की कहानी क्या
है,
और
इसका आइडिया कैसे आया?
-यह
कहानी है एक युवक की जो गांव
से शहर पढ़ने आता है.
उसके
साथ उसके माता-पिता
के ख़्वाब भी होते हैं,
पर
शहरी चकाचौंध और प्यार के जाल
में फंस कर वो खुद को इतना असहाय
महसूस करता है कि आत्महत्या
जैसा आत्मघाती कदम उठाने को
मजबूर हो जाता है.
उसके
इस कदम का क्या असर होता है
यही फिल्म की थीम है.
जहां
तक आइडिया की बात है,
तो
सच कहूं अभिनेत्री प्रत्यूषा
बनर्जी के सुसाइड ने मुझे काफी
झकझोरा था.
काफी
दिनों तक मैं उस वाकये पर सोचता
रहा.
और
उसी घटना ने मुझे मजबूर कर
दिया यह फिल्म बनाने को.
प्रश्न
:
किसी
और प्रोफेशन में होते हुए
फिल्म बनाने की बात सोचना भी
टेढ़ी खीर है.
ऐसे
में फिल्म बनने की कहानी भी
जरूर दिलचस्प रही होगी?
-
बात
तो आपकी सही है,
पर
फिल्मों से मेरा लगाव बचपन
से रहा है.
कई
बार देर रात तक पड़ोसी के घर
फिल्में देखने की वजह से घर
में मार भी पड़ी,
पर
सही प्लेटफॉर्म न मिलने की
वजह से निर्माण की सोच भी नहीं
पा रहा था.
कई
साल परेशानियां झेलने के बाद
मैंने ऐसी फिल्म बनाने की
सोची,
जिसमें
कहानी हीरो हो.
कम
कैरेक्टर और कम खर्च में कुछ
दोस्तों की मदद से पहली शार्ट
फिल्म बनायी,
जिसे
लोग कटेंट की वजह से काफी पसंद
कर रहे हैं.
और
बात रही अन्य प्रोफेशन में
होने की तो जहां चाह वहां राह
निकल ही जाती है,
बस
जज्बा होने होना चाहिए.
प्रश्न
:
पटना
जैसे शहर में फिल्म बनाने में
किन-किन
कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
-परेशानियां
तो काफी होती है.
क्योंकि
अनुभवहीन लोगों के साथ मिल
ऐसे काम करने का हौसला करना
भी काफी कठिन है.
खुद
मैं भी टेक्नीकली इमेच्योर
ही था,
पर
काफी सारी फिल्में देखने की
वजह से काफी कुछ समझने लगा था.
फिर
प्रयास करता रहा.
तीन-चार
असफलताओं के बाद आखिरकार यह
फिल्म बनाने में सफल रहा.
प्रश्न
:
काश
को यूट्यूब पर काफी व्यूज और
अच्छे-अच्छे
रिव्यूज मिले हैं.
आगे
की क्या योजना है?
-इसके
लिए मैं व्यूअर्स का शुक्रिया
अदा करता हूं और उन सबों का
भी,
जिन्होंने
अपने-अपने
माध्यम से इसे लोगों तक पहुंचाया.
जहां
तक आगे की योजना की बात है,
तो
कई शार्ट फिल्मों के स्क्रिप्ट
तैयार हैं और मैं यकीन दिलाता
हूं कि मेरी हर फिल्म मनोरंजन
के साथ-साथ
एक स्ट्रांग मैसेज भी देगी.
प्रश्न
:
आपने
इस फिल्म की कहानी,
निर्देशन
के अलावे मुख्य भूमिका भी
निभायी है,
आगे
खुद को किस रूप में देखते हैं?
-देखिये
अभिनय मेरा पैशन है,
पर
मैं निर्देशन का लुत्फ भी उसी
शिद्दत से उठाता हूं.
अपनी
सोच में प्रभावी तरीके से कहने
के लिए जरूरी है कि कमान खुद
के हाथ हो.
प्रश्न
:
आप
खुद एक फिल्म क्रिटीक हैं,
अगर
मैं आपसे अपनी फिल्म की रिव्यू
के लिए कहूं तो आपकी क्या
टिप्पणी होगी?
-एक
बात बता दूं,
कोई
कितनी भी फिल्मों की समीक्षा
कर ले,
पर
आखिर में सबसे बड़े समीक्षक
दर्शक ही होते हैं.
इसलिए
इसका फैसला दर्शकों पर ही छोड़
दें तो बेहतर होगा.
भविष्य
के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएं
बहुत-बहुत
आभार आपका.
(गौरव
एक सफल कार्टूनिस्ट व फिल्म
समीक्षक भी हैं.
इनकी
फिल्म आप भी यू ट्यूब की इस
लिंक पर जा कर देख सकते हैं)
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