कमजोर पटकथा की भेंट चढ़ गया कलाकारों का उम्दा अभिनय
जब किसी कमजोर नाव की पतवार किसी नये खेवैये के हाथ में थमा दी जाए तो सवारों का डूबना तय है. कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति नवोदित निर्देशक दिनेश विजन की फिल्म राब्ता की रही. पटकथा की कमजोरी में दिनेश की मेहनत और सुशांत सिंह राजपुत, कृति सेनन और राजकुमार राव जैसे कलाकारों की उम्दा अभिनय भी दम तोड़ती नजर आयी. राब्ता पुनजर्न्म की कहानी पर आधारित हिंदी सिनेमा के पारंपरिक फिल्मों से कुछ अलग नहीं है. पर इसकी दुविधा ये है कि अलग-अलग कई फिल्मों के रिफरेंस एक साथ लेकर कहानी बुनने में यह कई झोल का शिकार हो गयी. साऊथ की सुपरहिट फिल्म मगधीरा की नकल का आरोप पहले ही ङोल रही फिल्म कई जगहों पर मिज्र्या और करण-अजरून सरीखी नाटकीय हो जाती है. पर तारीफ करनी होगी सुशांत और कृति की जिन्होंने कमजोर कश्ती को पार लगाने में अपनी पूरी मेहनत झोंक दी.
कहानी है पंजाब के शिव(सुशांत सिंह राजपुत) की. जिसकी बुडापेस्ट में बैंक की नौकरी लग गयी है. वह अपने दोस्त(वरूण शर्मा) के साथ नये देश के लिए निकल पड़ता है. शिव आज का युवक है. उसके लिए विदेश की नौकरी पैसे, लड़कियां पटाने और अय्याशी करने का एक जरिया भर है. इस दौरान उसकी मुलाकात सायरा(कृति सेनन) से होती है. जो खुद अपने पिछले जन्म की धूंधली छाया बार-बार सपने में देखकर बेचैन रहती है. बावजूद इस बेचैनी के वो शिव के सम्मोहन में आ जाती है. शुरुआती मुलाकात में ही दोनों बिस्तर तक पहुंचने से भी नहीं कतराते. पर वक्त बीतने के साथ ही दोनों के अपने बीच पनपते प्यार का अहसास होता है. कहानी नाटकीय मोड़ तब लेती है जब दोनों के बीच मशहूर उद्योगपति जाकिर मर्चेट (जिम सरभ) की एंट्री होती है. इसके साथ कहानी फ्लैशबैक में जाती है. कहानी की कमजोरी यहीं से शुरू हो जाती है. पुर्व जन्म के क ालखंड, भाषा और बॉडी लैंग्वेज काफी हद तक सत्यता से दूर बनावटी प्रतीत होते हैं और उब देने लगते हैं.
फिल्म की सबसे बड़ी दुविधा इसका प्रेडिक्टेबल होना है. शुरुआती दौर में सायरा के सपने ही शिव और सायरा के पुर्वजन्म की कहानी का अंदाजा दे जाते हैं. जिससे आगे की कहानी में कोई रुचि नहीं रह जाती. और फिल्म घिसी-पिटी पुरानी फिल्मों की अक्स भर लगने लगती है. पर इन सब झोल के बीच कुछ स्पार्क का काम करता है तो सुशांत और कृति के बीच का केमिस्ट्री. आज के युवाओं की बेबाकी और उन्मुक्तता को दोनों ने खुलकर जिया है. वहीं खल चरित्र में जिम सरभ अचंभित करते हैं. अलग तरह के मेकओवर में आये राजकुमार राव भी किरदार की गहराई के साथ प्रभावित करते हैं.
जब किसी कमजोर नाव की पतवार किसी नये खेवैये के हाथ में थमा दी जाए तो सवारों का डूबना तय है. कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति नवोदित निर्देशक दिनेश विजन की फिल्म राब्ता की रही. पटकथा की कमजोरी में दिनेश की मेहनत और सुशांत सिंह राजपुत, कृति सेनन और राजकुमार राव जैसे कलाकारों की उम्दा अभिनय भी दम तोड़ती नजर आयी. राब्ता पुनजर्न्म की कहानी पर आधारित हिंदी सिनेमा के पारंपरिक फिल्मों से कुछ अलग नहीं है. पर इसकी दुविधा ये है कि अलग-अलग कई फिल्मों के रिफरेंस एक साथ लेकर कहानी बुनने में यह कई झोल का शिकार हो गयी. साऊथ की सुपरहिट फिल्म मगधीरा की नकल का आरोप पहले ही ङोल रही फिल्म कई जगहों पर मिज्र्या और करण-अजरून सरीखी नाटकीय हो जाती है. पर तारीफ करनी होगी सुशांत और कृति की जिन्होंने कमजोर कश्ती को पार लगाने में अपनी पूरी मेहनत झोंक दी.
कहानी है पंजाब के शिव(सुशांत सिंह राजपुत) की. जिसकी बुडापेस्ट में बैंक की नौकरी लग गयी है. वह अपने दोस्त(वरूण शर्मा) के साथ नये देश के लिए निकल पड़ता है. शिव आज का युवक है. उसके लिए विदेश की नौकरी पैसे, लड़कियां पटाने और अय्याशी करने का एक जरिया भर है. इस दौरान उसकी मुलाकात सायरा(कृति सेनन) से होती है. जो खुद अपने पिछले जन्म की धूंधली छाया बार-बार सपने में देखकर बेचैन रहती है. बावजूद इस बेचैनी के वो शिव के सम्मोहन में आ जाती है. शुरुआती मुलाकात में ही दोनों बिस्तर तक पहुंचने से भी नहीं कतराते. पर वक्त बीतने के साथ ही दोनों के अपने बीच पनपते प्यार का अहसास होता है. कहानी नाटकीय मोड़ तब लेती है जब दोनों के बीच मशहूर उद्योगपति जाकिर मर्चेट (जिम सरभ) की एंट्री होती है. इसके साथ कहानी फ्लैशबैक में जाती है. कहानी की कमजोरी यहीं से शुरू हो जाती है. पुर्व जन्म के क ालखंड, भाषा और बॉडी लैंग्वेज काफी हद तक सत्यता से दूर बनावटी प्रतीत होते हैं और उब देने लगते हैं.
फिल्म की सबसे बड़ी दुविधा इसका प्रेडिक्टेबल होना है. शुरुआती दौर में सायरा के सपने ही शिव और सायरा के पुर्वजन्म की कहानी का अंदाजा दे जाते हैं. जिससे आगे की कहानी में कोई रुचि नहीं रह जाती. और फिल्म घिसी-पिटी पुरानी फिल्मों की अक्स भर लगने लगती है. पर इन सब झोल के बीच कुछ स्पार्क का काम करता है तो सुशांत और कृति के बीच का केमिस्ट्री. आज के युवाओं की बेबाकी और उन्मुक्तता को दोनों ने खुलकर जिया है. वहीं खल चरित्र में जिम सरभ अचंभित करते हैं. अलग तरह के मेकओवर में आये राजकुमार राव भी किरदार की गहराई के साथ प्रभावित करते हैं.
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