जग्गा जासूस के जरिये बचपन की तलाश
जासूसी का शौकीन जग्गा (रणबीर कपुर) बचपन में अपने मां-बाप को खो चुका है. उसकी परवरिश उसी अस्पताल में होती है जहां उसका जन्म हुआ था. हकलाहट की वजह से वो हमेशा चुप-चुप रहता है. ऐसे में उसकी जिंदगी में आता है एक शख्स (शाश्वत चटर्जी) आता है जो उसे पिता का प्यार देता है और उसे अपने साथ ले जाता है. वो जग्गा को हकला कर बोलने के बजाय गा कर बातें करने को कहता है. जिससे जग्गा आसानी से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने लगता है. कुछ वक्त साथ गुजारने के बाद उसके पिता को किसी काम से वापस जाना पड़ता है. जग्गा को हर बर्थ डे पर गिफ्ट में उसके पिता की ओर से एक वीडियो टेप मिलता था, जिसके इंतजार में वो उस दिन सुबह से पोस्टमैन की राह देखता था. एक बर्थडे जब उसे पिता की ओर से वीडियो नहीं मिलता है तो वह पिता की खोज में निकल पड़ता है. इस तलाश में जग्गा को जर्नलिस्ट श्रुति (कैटरीना कैफ) का साथ मिलता है. पिता की तलाश करते-करते जग्गा को इंडिया में गैर कानूनी हथियारों के सप्लायर का पता चलता है, और वो उसे नाकाम करने की कोशिश में जूट जाता है.
फिल्म निश्चित रूप से पारंपरिक हिंदी सिनेमा की परिपाटी से बिलकुल अलग है. पहले हाफ में यह बार-बार आपके धैर्य की परीक्षा लेगी. पूरी फिल्म में इस्तेमाल गाने की शक्लों में डॉयलाग्स भी कई जगह विचलित करते हैं. पर सेकेंड हाफ में फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है. जग्गा के किरदार में रणबीर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अभिनय के मामले में यंग जेनेरेशन की वो एक बड़ी उम्मीद हैं. हाल-फिलहाल के दिनों में चेहरे की भाव-भंगिमाओं से अभिनय करने वाला शायद ही कोई अभिनेता फिल्मों में दिखा हो. पिता के किरदार में शाश्वत चटर्जी निखर कर सामने आते हैं. कैटरीना की उपस्थिति हर बार की तरह बार्बी डॉल टाइप ही है. फिल्म के कुछ गाने तो पहले ही चार्ट बस्टर में अपनी जगह बना चुके हैं. कुल मिलाकर फिल्म बच्चों को पसंद आने वाली है. व्यस्कों के लिए मामला दिमाग का है.
क्यों देखें- बचपन में दादी-नानी से सुने किस्सों को एक बार फिर जीना चाहते हों तो.
क्यों न देखें- बड़े बनकर देखेंगे तो थियेटर छोड़ने की नौबत आ जाएगी.
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